Friday, 11 September 2009

'फक्र करो अहम नहीं' -अहम से परेशां औरतों को मेरे लब्जों की इक ठंढी छुअन शायद कामयाब हो वरना खुदा की मर्जी.......(१७ जून, २००१)



"ऐ नाजनीन हुस्न पे , गुरूर मत करना



अदाओं के बर्क पे , बेखौफ मत चलना



तौफ़ीक तुझमें है , तक्कवूर नहीं करना



दौलत की बुलंदी पे, कभी नाज ना करना



जो खुशियाँ हैं मुकद्दर में , ये ना हों भी वो होंगीं


मग़र ग़म में पनाह लिखी , ये सब हों भी कम होंगी !"