Thursday, 22 July 2010

ये है मुकद्दर की बादशाहत !



खुद पे और ईश्वर पे विश्वास अच्छा है लेकिन तकदीर का क्या जिसने इतिहास

के पन्नों में कई ऐसे किस्से लिख डाले जिसके तहत कई बादशाहों की बादशाहत ख़ाक हो गयी। 


शायद ये कड़वा सच हमें याद नहीं रहता और हम खुद की बादशाहत और इसे बचाए रखने के तहत 


ईश्वर पे विश्वास का दो हथियार ले खुद के हार की सोच को अपने दिमाग से बाहर फेंक डालते हैं और 


यही हममें अहम की भावना जगा देता है जो इक रोज मुकद्दर की बादशाहत के सामने घुटने टेक देता 


है। इसलिए ईश्वर पे विश्वास और खुद पे विश्वास के साथ-साथ मुकद्दर को दुआं कीजिये कि वो आपकी 


सोंच को सच्चाई बनाने में और आपकी सच्चाई को आपकी ज़िन्दगी का साथ निभाने में आपका साथ 


दे।



       "ख़ुदा भी न कुछ कर पायेगा,

        ग़र मुकद्दर ख़फा हो जाएगा ।

        शोलों से खेलनेवाला ,

        चिन्गारी से जल जाएगा ।"