"बादेसबा चली , तेरा ख्याल आया
तन्हा नज़र हुई , तेरा ख्याल आया "
खुलती हुई जुल्फों ने, कुछ भी नहीं कहा
उलझी लटें सुलझाई , तेरा ख्याल आया
कलियों से गुफ़्तगू , हर रोज़ होती थी
भौरों को पास देखा, तेरा ख्याल आया
दूर भी मौजों से, आँखों को सुकून था
साहिल से टकराया तो, तेरा ख्याल आया
"बादेसबा चली , तेरा ख्याल आया
तन्हा नज़र हुई , तेरा ख्याल आया !"


हर रंग को आपने बहुत ही सुन्दर शब्दों में पिरोया है, बेहतरीन प्रस्तुति ।
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