Thursday, 3 June 2010

क़िस्मत का पलटता रुख़........(०३ जून, २०१०)

क़िस्मत पे कभी घमंड मत करना , ये कब पलट जाए मालूम नहीं !आज जो तुम्हारे इर्द-गिर्द हुक्म की तामीली में लगा है शायद उससे हीं मिलने को कल तुम्हें कतारों में खड़ा होना पड़े !

    "जो  तामिले  हुक्म में  मेरे , दिन- रात  बैठे थे          उनसे हीं  मुलाक़ात  की,  क़तार में खड़ी हूँ !"