ये किस्सा कुछ ख़ास नहीं मगर इसे गौर कीजिये तो कई माँ के आँखों में आंसू उतर आतें हैं !मगर उन्हें इंतज़ार उन पलों का है, जब उनके बच्चों को चाँद की रौशनी मिलेगी और सामने का जलता दीया खुद-ब-खुद अँधेरा-सा नज़र आएगा ! हाँ, वक़्त थोडा इंतज़ार कराता है , इसमें कोई शक नहीं !
'अपने आँचल का दीया , सितारा है लग रहा
मुक़ाबिल चाँद भी खड़ा , आवारा हीं लग रहा '
'अपने आँचल का दीया , सितारा है लग रहा
मुक़ाबिल चाँद भी खड़ा , आवारा हीं लग रहा '

