मेरे सर्वप्रिय नेता -- 'श्री राजीव गाँधी को मेरी ओर से इक भावभीनी श्रद्धांजलि' !
बस इतना कहती हूँ -"कूटनीतिज्ञों को हीं राजनीति शोभा देती है ना कि इक
सीधे-साधे, लोगों से सच्चा प्यार करनेवाले इंसान को वरना वो इंसान अपने
भोले- भाले स्वभाव में अभिमन्यु -सा चक्रव्यूह में फँसकर मृत्यु को प्राप्त होता है
चाहे वो चक्रव्यूह आपके अपनों द्वारा हीं तैयार की गयी हो"!
"२० अगस्त सन ४४ को, खुशियों का इक दीप जला था
बम्बई के सुंदर तालों में, नन्हा -सा राजीव खिला था
राजनीति के चक्रव्यूह में, अभिमन्यु -सा प्यारा था वो
तोड़े भी न टूट सका, ऐसा नभ का तारा था वो "!


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