"ऊँगली मत उठाओ , कभी किसी की हालात पे मत हँसो "! नहीं मालूम कब उसकी आह तुम्हें ऐसे हीं एक वक्त का चेहरा दिखा दे और तुम्हें मालूम हो ऐसे वक्त का दर्द किस कदर आंसुओं में डुबोता है ?
"तन्कीद करनेवालों की,
ख़ातिर दुआं करना
इक बार तेरे हाल से,
उनका भी वास्ता हो
याद आयेंगे वो लम्हें ,
रुलाया था किसी को
दर्द देगा खलिस,
तन्कीद के मायने समझ जायेंगे "
Wednesday, 29 September 2010
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