तू है दीपक , मैं पवन हूँ
चन्द लम्हों के सफ़र में ,
मैं तेरा अनुचर खड़ा हूँ
तू अतुल अम्बर का जुगनू
मैं तड़ित उनमें छुपा हूँ
तू यति का है तपोवन
मैं तो उसकी अप्सरा हूँ
तू हीं दीपक, तू हीं आभा
मैं तो उनकी कालिमा हूँ
तू है मस्तक का मणि
मैं उरग का डंक हूँ
तू मिलन की रागिनी
मैं विरह का ग्रन्थ हूँ
सिर्फ तू मिट्टी की महिमा
मैं हीं अंतिम सत्य हूँ........"!

