Wednesday, 18 August 2010

सम्पूर्ण सिंह उर्फ़ (गुलज़ार)........आपको जन्मदिन की ढेरों बधाई !



मैं लिखावट में अक्सर दर्द को ज्यादा महत्व देती हूँ , इसलिए मेरे 


प्रिय गीतकार "गुलज़ार" जी हैं। उन्हें हीं मैंने अपनी लिखावट में 

अपना आदर्श माना है। आज उनके जन्मदिन के अवसर पे उनको मेरी 

ओर से ढेरों बधाई ! उन्हें ईश्वर सदियों तक इस धरती पे शाश्वत रूप में 

रखें। मेरे दो लब्ज़ों की उन्हें ये छोटी सी सौगात ...............




"तेरे लब्ज़ कानों में पड़े , आँखों में हुई बरसात


फिर भी पलक मूंदी नहीं , जागते हीं कटी रात ।


आँखों से पूछा , क्यूँ तू सारी रात ना सोया ?


चुपके कहा , गुलज़ार का तोहफा रहा था पिरोया ।


तोहफ़े में कुछ कहा था यूँ ------------


'जब तक रहे ये ग़ुल, गुलज़ार तू रहे ।

 सदियाँ आँकें तेरी उम्र ,ये साल बस बहें !'



ये सुन आखों में फिर से आँसू छलक आये । और दिल ने कहा -'काश ,     ये सच होता ' !

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