मैंने बस इतना कहा -- 'आपके बच्चे अच्छें हों या बुरे' आप 'माँ-बाप' खुशियों भरी ज़िन्दगी जीने के लिए ईश्वर से बस इतनी प्रार्थना करें............
"गोद में मेरे हो, बस शौक हो ये मेरा
मैं चढूँ इस गोद में, ये ख़ुदा भी ना करे
हाथ पकड़े मेरा, ये आरज़ू हो मेरी
मैं हाथ पकड़ू इसका ,ये ख़ुदा भी ना करे
मैं ज़रुरत इसकी ,मेरी अंतिम साँस तक
ये मेरी ज़रुरत बने ,ये ख़ुदा भी ना करे ! "
"गोद में मेरे हो, बस शौक हो ये मेरा
मैं चढूँ इस गोद में, ये ख़ुदा भी ना करे
हाथ पकड़े मेरा, ये आरज़ू हो मेरी
मैं हाथ पकड़ू इसका ,ये ख़ुदा भी ना करे
मैं ज़रुरत इसकी ,मेरी अंतिम साँस तक
ये मेरी ज़रुरत बने ,ये ख़ुदा भी ना करे ! "


tat nice....u have written bhabhi...
ReplyDeleteआप एक संवेदनशील इंसान हैं ये तो पता था. आप एक बहुत अच्छी माँ भी हैं ये आज जाना. आपकी ये पंक्तिया सभी को अच्छे सीख देने वाली है.
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