"करो एहसां तो इक हद तक , ज़रा-सा बेरहम होना
भले ही हैसियत तेरी , अर्श हीं चूमें
मगर जो फ़र्ज़ उसका है , उसे इन्कार मत करना
यही करते हैं अक्सर लोग , रहमदिल यूँ हो जातें हैं
कि सज़दे में खड़े फिर लोग , ओहदे में घुसे आतें हैं
अब हालात यूँ होता है , एहसां भुला जातें हैं
तारीफ में थकते ना लब, शिकवों में गुनगुनातें हैं
फिर खुन्नसों का आहिस्ता , इक दौर चलता है
अहम कि सीढियां चढ़-चढ़ , वही पाँव फिसलता है
तुम तक़दीर को अपना , गुनाहगार बतलाते हो
ख़ुद से हुई ख़ता जो , उसको भुला जाते हो
उस दिन जो बेरहम बने , सज़दे में छोड़ होते
हिम्मत ना थी हालात की , ये बेवफा होते !"
मुकाबिल में है जो दम ख़म , ना भूले से उसे खोना
भले ही हैसियत तेरी , अर्श हीं चूमें
मगर जो फ़र्ज़ उसका है , उसे इन्कार मत करना
यही करते हैं अक्सर लोग , रहमदिल यूँ हो जातें हैं
कि सज़दे में खड़े फिर लोग , ओहदे में घुसे आतें हैं
अब हालात यूँ होता है , एहसां भुला जातें हैं
तारीफ में थकते ना लब, शिकवों में गुनगुनातें हैं
फिर खुन्नसों का आहिस्ता , इक दौर चलता है
अहम कि सीढियां चढ़-चढ़ , वही पाँव फिसलता है
तुम तक़दीर को अपना , गुनाहगार बतलाते हो
ख़ुद से हुई ख़ता जो , उसको भुला जाते हो
उस दिन जो बेरहम बने , सज़दे में छोड़ होते
हिम्मत ना थी हालात की , ये बेवफा होते !"


Great Ruchi great...I am fan of your sher.Regards,Rakesh
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