Wednesday, 12 August 2009

मेरे चहेते गीतकार "गुलज़ार (सम्पूर्ण सिंह) " के ७२वे जन्मदिन पे उनसे मेरी इक गुज़ारिश.........(१४ अगस्त, २००६)


"तेरे सोज(दर्द) की स्याही, जिस दिन ख़तम होगी

उस दिन मैं सोचूँगी, मेरी लिखावट भी गहरी है

हर लब्ज के कतरे में छिपा , गम का आशियाना

हमें जौहर सिखा 'सम्पूर्ण' , तेरी ये कैसी छड़ी है ! "

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